एक साधारण व्यक्ति भी असाधारण काम करके सभी को चकित कर सकता है। बस इसके लिए उसमें जीतने का जज्बा और सकारात्मक नजरिया होना चाहिए। भारत को वर्ल्ड क्रिकेट की दशाहत दिलाने वाले लीजेंड क्रिकेटर कपिल देव का यही मानना है। उन्हीं से जानें कामयाबी की राह पर चलने के स्पेशल टिप्स..
आपके पास अपनी सोच है, तो सब है। आपकी सोच ही आपके लिए आगे की राह बनाती है। मेरे लिए यह बहुत तकलीफदेह है कि विकासशील देश होने के बावजूद आज भी हमारे यहां ऐसे लोगों की कमी नहीं, जो सिर्फ नौकरी पाने के लिए पढ़ाई करते हैं। ज्यादातर लोगों के लिए शिक्षा का मतलब कमाऊ बनना होकर रह गया है। आज कितने मां-बाप ऐसे होंगे, जो इम्तहान के दौरान अपने बच्चों को क्रिकेट या किसी अन्य क्षेत्र के महत्वपूर्ण टूर्नामेंट या इवेंट में खेलने या जाने की इजाजत देते होंगे? शायद बहुत कम। वे पहले पढ़ाई जरूरी मानते हैं, फिर कुछ और। क्योंकि उनके लिए पढ़ाई पहली प्राथमिकता होती है। दरअसल, यही माइंटसेट सदियों से चला आ रहा है, लेकिन अब इसे बदलना चाहिए। हम आगे तो बढ़ रहे हैं, लेकिन इसकी गति बहुत धीमी है। अच्छी नौकरी या पैसा है, तभी कामयाबी है.., इस सोच से खुद को बाहर निकाल सकें, तो सही मायने में हम जीत की तरफ बढ़ सकेंगे।
परफॉर्मेस पर हो फोकस
अपने काम में सौ प्रतिशत देना आसान नहीं होता। ऐसा वही लोग कर पाते हैं, जो प्रोफेशनल यानी पेशेवर होते हैं। जिन्हें अच्छी तरह पता होता है कि काम से ही उनकी पहचान बननी है। साथ ही, जो यह समझते हैं कि केवल परफॉर्मेस ही बोलता है, और कुछ नहीं। आप यह मत देखिए कि कौन क्या कर रहा है या क्या कह रहा है? बस आप पेशेवर बनिए। प्रोफेशनल एटीट्यूट हर काम में जरूरी है। पेशेवर वही है, जिसे अपने काम में बेस्ट देने की हमेशा फिक्र लगी रहती है और जो अपने काम को एंज्वॉय भी खूब करते हैं।
प्रेशर पर प्रहार
जब हम या आप क्रिकेट के मैदान पर होते हैं, तो दबाव दिन-रात आपके सिर पर सवार रहता है। ड्रेसिंग रूम से लेकर खेल के मैदान तक, कदम-कदम पर अपेक्षाओं का बोझ लिए रहते हैं खिलाड़ी। चाय देने वाले से लेकर लाखों-करोड़ों फैंस की ख्वाहिशों को पूरा करने का दबाव झेलना बहुत मुश्किल होता है। पर इसे टाला नहीं जा सकता। यह स्वाभाविक चीज है। ऐसी स्थिति में एक ही सिर्फ और सिर्फ एक ही उपाय काम आता है और वह है - कूल माइंड। शांत मन से खेल पर ध्यान देना। संघर्ष भरे जीवन में निश्चित रूप से आप पर भी तमाम तरह के दबाव होते हैं। यह दबाव तभी खत्म होगा, जब आप धैर्यपूर्वक शांतचित रहकर लगातार आगे बढ़ने का प्रयास करते रहेंगे।
सेट योर एग्जांपल
जब आप पूरी शिद्दत से अपने परफॉर्मेस पर ध्यान देते हैं, तभी रिजल्ट अच्छा आता है। रिजल्ट अपेक्षा के अनुरूप न आए, तो भी आप ज्यादा टेंशन न लें..। बस आगे के बारे में सोचते रहें और उस पर ध्यान देते रहें। इसके बाद आप देखेंगे कि जब आपको कामयाबी मिलती है, तो उससे आपका मनोबल कितना बढ़ता है। आप अपने प्रोफेशनल काम के अलावा निजी कामों में भी बेस्ट करने की सोचने लगते हैं। चिंतन शुरू हो जाता है। और सबसे अच्छी बात यह कि आप औरों के लिए उदाहरण बन जाते हैं। इस तरह आप केवल अपने काम पर फोकस रहकर दूसरों को प्रेरित करते हैं, तो इससे अच्छी बात और क्या होगी।
नजरिया अपना-अपना
भरा हुआ आधा ग्लास देखने की प्रवृत्ति रखें, मुश्किलें आसान होती चली जाएंगी। आपका सामना ऐसे लोगों से भी होगा, जो केवल खाली आधा ग्लास ही देखते हैं। वे हमेशा इस बात से चिंतित रहते हैं कि आखिर ये भरेगा या नहीं? हर बात में शंका करने वाले ऐसे लोग हर काम काम मं कठिनाई ढूंढ़ निकालते हैं। उन्हें आसान से आसान काम भी मुश्किल लगता है। यहां फर्क सिर्फ उनके देखने के नजरिए का होता है और कुछ नहीं। जहां हर फील्ड में गलाकाट प्रतिस्पर्धा है, वहां आप आसानी से आगे निकलने की या जीतने की उम्मीद बिल्कुल ही नहीं कर सकते। हां, अगर आप जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं, तो कठिनाइयों में भी मुस्कुराना नहीं भूलेंगे.. और यह मुस्कुराहट ही आपको जीत की दिशा दिखाती है।
समाज को भी दें
एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में हम अक्सर भूल जाते हैं कि हम जा कहां रहे हैं? जीत वास्तव में क्या है? क्या यही कि औरों को पछाड़कर उनसे आगे निकल जाएं? परीक्षा में अधिक नंबर लाना या फिर खूब पैसे कमा लेना? मेरे ख्याल से तो बिल्कुल ही नहीं। कुछ बड़ा करने का मतलब सिर्फ यही है कि आपने अपनी तरफ से समाज को क्या दिया? जरा उन्हें यादा कीजिए, जो कुछ आविष्कार या खोज करते हैं या जिनके कामों से हमारी जिंदगी आसान होती है.. हम सभी का भला होता है। जरा हेड फोन के आविष्कार की कहानी के बारे में सोचिए। जब आविष्कारकों को लगा कि पब्लिक प्लेस पर बज रहा संगीत बहुत से लोगों को डिस्टर्ब कर सकता है, तो ईयर फोन का आविष्कार कर डाला। है तो यह बहुत छोटी सी चीज, लेकिन इसका कितना फायदा है, इससे हम सब वाकिफ हैं।
* खुद को प्रोफेशनल बनाने की आदत डालें। इससे आप हर काम में अपना बेस्ट दे सकेंगे।
* काम से ही आपकी पहचान बनती है, इसलिए जो भी करें, उसमें अपना सौ प्रतिशत दें।
* मुश्किल परिस्थितियों का सामना शांत मन से और धैर्य के साथ ही किया जा सकता है।
* चीजों को देखने के लिए सकारात्मक नजरिया अपनाएं। हर काम में कठिनाई न ढूंढ़ें।