सोमवार, 18 नवंबर 2013

ईपीएफ खाते की जानकारी कैसे ले सकता हूं?

आप जैसे संगठित क्षेत्र के पांच करोड़ कर्मचारियों के लिए 6 सितंबर को ही प्रॉविडेंट अकाउंट खाते की जानकारी की सुविधा ऑनलाइन कर दी गई है।
अब आपके लिए अपने ईपीएफ खाते की जानकारी लेना, अपने अकाउंट को अपडेट करना और भी आसान हो जाएगा। अगले माह उम्मीद कर सकते हैं कि अकाउंट ट्रांसफर करना भी आसान हो जाएगा। इसकी टेस्टिंग जारी है।
सैलरी स्लिप में अपने ईपीएफ नंबर को ईपीएफओ की वेबसाइट पर जाकर अपने खाते की जानकारी वाले लिंक को क्लिक करें। अपने राज्य के ऑफिस को सेलेक्ट कर ऑनलाइन फॉर्म पर पहुंचे। फॉर्म की डीटेल्स अपने फोन नंबर के साथ भरकर सबमिट बटन दबाएं। 31 मार्च, 2012 तक के अकाउंट की जानकारी अपडेट कर दी गई है। अगर आपको खाते की जानकारी न मिले तो अपने नियोक्ता के साथ संपर्क करें।
किसी परेशानी की स्थिति में ईपीएफआईजीएमएसडॉटजीओवीडॉटइन पर जाकर शिकायती फॉर्म भर कर अपनी शिकायत दर्ज कराएं। आप शिकायत के निवारण की स्थिति का भी पता लगा सकते हैं।

सौजन्य से - जागरण 
द्वारा  भारतीय  एकता  संगठन 

जज्बा जीतने का


एक साधारण व्यक्ति भी असाधारण काम करके सभी को चकित कर सकता है। बस इसके लिए उसमें जीतने का जज्बा और सकारात्मक नजरिया होना चाहिए। भारत को व‌र्ल्ड क्रिकेट की दशाहत दिलाने वाले लीजेंड क्रिकेटर कपिल देव का यही मानना है। उन्हीं से जानें कामयाबी की राह पर चलने के स्पेशल टिप्स..
आपके पास अपनी सोच है, तो सब है। आपकी सोच ही आपके लिए आगे की राह बनाती है। मेरे लिए यह बहुत तकलीफदेह है कि विकासशील देश होने के बावजूद आज भी हमारे यहां ऐसे लोगों की कमी नहीं, जो सिर्फ नौकरी पाने के लिए पढ़ाई करते हैं। ज्यादातर लोगों के लिए शिक्षा का मतलब कमाऊ बनना होकर रह गया है। आज कितने मां-बाप ऐसे होंगे, जो इम्तहान के दौरान अपने बच्चों को क्रिकेट या किसी अन्य क्षेत्र के महत्वपूर्ण टूर्नामेंट या इवेंट में खेलने या जाने की इजाजत देते होंगे? शायद बहुत कम। वे पहले पढ़ाई जरूरी मानते हैं, फिर कुछ और। क्योंकि उनके लिए पढ़ाई पहली प्राथमिकता होती है। दरअसल, यही माइंटसेट सदियों से चला आ रहा है, लेकिन अब इसे बदलना चाहिए। हम आगे तो बढ़ रहे हैं, लेकिन इसकी गति बहुत धीमी है। अच्छी नौकरी या पैसा है, तभी कामयाबी है.., इस सोच से खुद को बाहर निकाल सकें, तो सही मायने में हम जीत की तरफ बढ़ सकेंगे।
परफॉर्मेस पर हो फोकस
अपने काम में सौ प्रतिशत देना आसान नहीं होता। ऐसा वही लोग कर पाते हैं, जो प्रोफेशनल यानी पेशेवर होते हैं। जिन्हें अच्छी तरह पता होता है कि काम से ही उनकी पहचान बननी है। साथ ही, जो यह समझते हैं कि केवल परफॉर्मेस ही बोलता है, और कुछ नहीं। आप यह मत देखिए कि कौन क्या कर रहा है या क्या कह रहा है? बस आप पेशेवर बनिए। प्रोफेशनल एटीट्यूट हर काम में जरूरी है। पेशेवर वही है, जिसे अपने काम में बेस्ट देने की हमेशा फिक्र लगी रहती है और जो अपने काम को एंज्वॉय भी खूब करते हैं।
प्रेशर पर प्रहार
जब हम या आप क्रिकेट के मैदान पर होते हैं, तो दबाव दिन-रात आपके सिर पर सवार रहता है। ड्रेसिंग रूम से लेकर खेल के मैदान तक, कदम-कदम पर अपेक्षाओं का बोझ लिए रहते हैं खिलाड़ी। चाय देने वाले से लेकर लाखों-करोड़ों फैंस की ख्वाहिशों को पूरा करने का दबाव झेलना बहुत मुश्किल होता है। पर इसे टाला नहीं जा सकता। यह स्वाभाविक चीज है। ऐसी स्थिति में एक ही सिर्फ और सिर्फ एक ही उपाय काम आता है और वह है - कूल माइंड। शांत मन से खेल पर ध्यान देना। संघर्ष भरे जीवन में निश्चित रूप से आप पर भी तमाम तरह के दबाव होते हैं। यह दबाव तभी खत्म होगा, जब आप धैर्यपूर्वक शांतचित रहकर लगातार आगे बढ़ने का प्रयास करते रहेंगे।
सेट योर एग्जांपल
जब आप पूरी शिद्दत से अपने परफॉर्मेस पर ध्यान देते हैं, तभी रिजल्ट अच्छा आता है। रिजल्ट अपेक्षा के अनुरूप न आए, तो भी आप ज्यादा टेंशन न लें..। बस आगे के बारे में सोचते रहें और उस पर ध्यान देते रहें। इसके बाद आप देखेंगे कि जब आपको कामयाबी मिलती है, तो उससे आपका मनोबल कितना बढ़ता है। आप अपने प्रोफेशनल काम के अलावा निजी कामों में भी बेस्ट करने की सोचने लगते हैं। चिंतन शुरू हो जाता है। और सबसे अच्छी बात यह कि आप औरों के लिए उदाहरण बन जाते हैं। इस तरह आप केवल अपने काम पर फोकस रहकर दूसरों को प्रेरित करते हैं, तो इससे अच्छी बात और क्या होगी।
नजरिया अपना-अपना
भरा हुआ आधा ग्लास देखने की प्रवृत्ति रखें, मुश्किलें आसान होती चली जाएंगी। आपका सामना ऐसे लोगों से भी होगा, जो केवल खाली आधा ग्लास ही देखते हैं। वे हमेशा इस बात से चिंतित रहते हैं कि आखिर ये भरेगा या नहीं? हर बात में शंका करने वाले ऐसे लोग हर काम काम मं कठिनाई ढूंढ़ निकालते हैं। उन्हें आसान से आसान काम भी मुश्किल लगता है। यहां फर्क सिर्फ उनके देखने के नजरिए का होता है और कुछ नहीं। जहां हर फील्ड में गलाकाट प्रतिस्पर्धा है, वहां आप आसानी से आगे निकलने की या जीतने की उम्मीद बिल्कुल ही नहीं कर सकते। हां, अगर आप जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं, तो कठिनाइयों में भी मुस्कुराना नहीं भूलेंगे.. और यह मुस्कुराहट ही आपको जीत की दिशा दिखाती है।
समाज को भी दें
एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में हम अक्सर भूल जाते हैं कि हम जा कहां रहे हैं? जीत वास्तव में क्या है? क्या यही कि औरों को पछाड़कर उनसे आगे निकल जाएं? परीक्षा में अधिक नंबर लाना या फिर खूब पैसे कमा लेना? मेरे ख्याल से तो बिल्कुल ही नहीं। कुछ बड़ा करने का मतलब सिर्फ यही है कि आपने अपनी तरफ से समाज को क्या दिया? जरा उन्हें यादा कीजिए, जो कुछ आविष्कार या खोज करते हैं या जिनके कामों से हमारी जिंदगी आसान होती है.. हम सभी का भला होता है। जरा हेड फोन के आविष्कार की कहानी के बारे में सोचिए। जब आविष्कारकों को लगा कि पब्लिक प्लेस पर बज रहा संगीत बहुत से लोगों को डिस्टर्ब कर सकता है, तो ईयर फोन का आविष्कार कर डाला। है तो यह बहुत छोटी सी चीज, लेकिन इसका कितना फायदा है, इससे हम सब वाकिफ हैं।
* खुद को प्रोफेशनल बनाने की आदत डालें। इससे आप हर काम में अपना बेस्ट दे सकेंगे।
* काम से ही आपकी पहचान बनती है, इसलिए जो भी करें, उसमें अपना सौ प्रतिशत दें।
* मुश्किल परिस्थितियों का सामना शांत मन से और धैर्य के साथ ही किया जा सकता है।
* चीजों को देखने के लिए सकारात्मक नजरिया अपनाएं। हर काम में कठिनाई न ढूंढ़ें।

बुधवार, 2 दिसंबर 2009

एक प्यार ऐशा भी

कहते हैं कि प्यार कभी मरता नहीं, इंसान मरते हैं। सुनने में यह अच्छा तो लगता है लेकिन हमेशा ऐसा होता नहीं है। मरने के बाद कौन जाने, जिंदा रहते ही लोग पति या पत्नी बदल लेते हैं। कई लोग तो ऐसे भी होते हैं जिन्होंने प्रेम विवाह किया लेकिन कुछ साल के बाद उसे छोड़कर किसी दूसरे से प्रेम कर लिया। लेकिन फ्रांस में एक महिला ने अपने मृत प्रेमी के साथ शादी रचाकर यह साबित कर दिया है कि प्यार के अमर होने की बातें सिर्फ किताबी नहीं हैं।

फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी से इजाजत लेने के बाद पूर्वी फ्रांस की 26 वर्षीय मेगाली जैकीविक्ज ने अपने प्रेमी के मरने के एक साल बाद उससे शादी रचाई। शादी के दौरान जोनाथन के एक बड़े से फोटो को उसके स्थान पर रखा गया। एक साल पहले उसके प्रेमी जोनाथन की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। दुर्घटना के दो दिन बाद ही दोनों शादी करने वाले थे।

मेगाली जार्ज ने औपचारिक शादी के बाद कहा, मेरा मन नहीं था कि मैं शादी के बाद रिसेप्शन दूं। इसलिए मैंने मेहमानों को एक-एक कप काफी पिलाकर विदा किया। उसने कहा, मेरे इस कदम को किसी ने भी गलत नहीं ठहराया है, क्योंकि मेरे इरादे नेक थे। शादी की रस्मों के बाद मेगाली ने रिश्तेदारों की मौजूदगी में दूल्हे की कब्र पर फूल चढ़ाए। फ्रांस में मृत प्रेमी या प्रेमिका के साथ शादी करने की इजाजत है। लेकिन संबंधित व्यक्ति को यह प्रमाण देना जरूरी है कि वह मरने से पहले वे दोनों शादी करने वाले थे। फ्रांस में हर साल करीब 20 ऐसे विवाह होते हैं। स्थानीय मेयर ने कहा कि मेगाली का मामला पूरी तरह से गंभीर था। ये दोनों पिछले पांच साल से साथ थे और इनके दो बच्चे भी हैं। इसलिए मेगाली को शादी की इजाजत दे दी गई।

केवल लड़को के स्कूल में पढ़ना है नुकसानदेह

यह आम धारणा है कि जो लड़के सह-शिक्षा [लड़कों और लड़कियों को साथ में शिक्षा] स्कूलों में नहीं पढ़ते, आगे चल कर लड़कियों से सामान्य व्यवहार कर पाने में उन्हें समस्या आती है। लेकिन अब एक अध्ययन में इस धारणा की पुष्टि हो गई है।

इस अध्ययन में निष्कर्ष निकला है कि जो लड़के सिर्फ लड़कों वाले स्कूल में पढ़ने जाते हैं, उनका वैवाहिक जीवन उम्र के चालीसवें पड़ाव के बाद संकट में पड़ जाता है और तलाक की आशंका बढ़ जाती है। साथ ही ये लोग जल्दी ही डिप्रेशन के शिकार होते हैं। हालांकि लड़कों के स्कूल में पढ़े जो पुरुष इन समस्याओं से मुक्त रहते हैं, वे उन्हीं की तरह सामान्य जीवन जीते हैं, जैसे सह-शिक्षा में पढ़ने वाले लड़के।

लंदन विश्वविद्यायल की शिक्षा ईकाई की प्रोफेसर डायना लियोनार्ड ने यह अध्यय प्रस्तुत किया है। इस अध्ययन में 1958 में एक ही सप्ताह में जन्मे सत्रह हजार लोगों ने हिस्सा लिया था। जिनकी शिक्षा निजी और सरकारी स्कूलों में हुई थी।

लंदन में अध्यापकों के संगठन की सचिव मैरी बास्टेड के अनुसार एक बार फिर साफ हुआ है कि सिर्फ लड़कों के लिए चलने वाले स्कूल, लड़कों को लाभ नहीं पहंचाते। जबकि लड़कियों के मामले में स्थिति उल्टी है। सिर्फ लड़कियों की स्कूलों में पढ़ने वाली लड़कियां पुरुषों को सहज समझ लेती हैं। यह उन्हें प्रकृति प्रदत्ता है। जबकि लड़कों के साथ ऐसा नहीं हो पाता। यदि वे सह-शिक्षा में नहीं पढ़ते, तो लड़कियों को समझने में उन्हें हमेशा मुश्किलें आती हैं।

बास्टेड के अनुसार लड़कियों के साथ पढ़ते हुए लड़के, बेहतर ढंग से सीखते हैं और उनमें अपना विकास करने की भावना भी अधिक होती है। शोध में एक रोचक तथ्य यह भी सामने आया कि सिर्फ लड़कियों के स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियां आगे चल कर गणित और विज्ञान की पढ़ाई करती हैं, जबकि सह-शिक्षा में पढ़ने वाले लड़के कला और मानविकी का अध्यय करते हैं।

शुक्रवार, 20 नवंबर 2009

बढेगा तापमान

लंदन। इस सदी के आखिर तक दुनिया का तापमान छह डिग्री बढ जाएगा जिसके विनाशकारी परिणाम होंगे। एक अध्ययन के मुताबिक उद्योगों और परिवहन से उत्सर्जित कार्बन डाइ ऑक्साइड एवं वनों की कटाई के कारण दुनिया के तापमान में इस हद तक बढोतरी होगी। ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट (जीसीपी) द्वारा लगाया गया यह अनुमान पहले लगाए गए अनुमान के मुकाबले चार डिग्र्री अधिक है।
कोपेनहेगन में अगले माह होने जा रहे जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन से पहले नेचर जियासोइंस नाम के जर्नल में जीसीपी की यह रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वनों और समुद्रों की कार्बन डाइ ऑक्साइड को अवशोषित करने की क्षमता लगातार घट रही है। अध्ययन के मुताबिक जीवाश्म ईंधन से उत्सर्जित होने वाले कार्बन डाइ आक्साइड में वर्ष 2002 से 2008 के बीच 29 फीसदी बढोतरी हुई है।
ज्यादा उम्मीद नहींनई दिल्ली। केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री जयराम रमेश ने गुरूवार को स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारतीयों को कोपेनहेगन में जलवायु परिवर्तन पर होने जा रहे सम्मेलन से अधिक उम्मीदें नही रखनी चाहिए। रमेश ने एक समारोह में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की 'द स्टेट ऑफ वल्र्ड पापुलेशन 2009' रिपोर्ट का लोकार्पण करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि सरकार खुद को किसी भी वैश्विक करार से अलग रखेगी, हालांकि घरेलू मोर्चे पर

चीन की तरह बने

दिल्ली। आर्थिक क्षेत्र के विशेषज्ञों तथा चीन मामलों के जानकारों का कहना है कि चीनी व्यवसायी अपने हितों को साधने में बहुत चौकन्ने तथा स्वार्थी प्रवृत्ति के होते हैं, इसलिए भारतीय कारपोरेट घरानों तथा युवा पेशेवरों को चीनी नागरिकों के साथ करार करते समय उन्हीं की शैली में काम करने की जरूरत है। उनका कहना है कि चीन दुनिया की प्रमुख आर्थिक शक्ति बनने की तरफ अग्रसर है और इसकी बुनियाद में उसके नागरिकों की लगन, मेहनत और अपने हितों को साधने की प्रवृत्ति की महत्वपूर्ण भूमिका है। चीन का व्यवसायी अपने माल को विश्व के हर बाजार में बेचने के लिए तैयार रहता है। जहां उसके व्यवसायी पहुंचते हैं वहां उनका सामान बाजार में छा जाता है।
उन्होंने कहा कि चीन की सरकार भी घरेलू उद्योगों को निर्यात करने के लिए विशेष सुविधाएं प्रदान करती है। विशेषज्ञों ने यह विचार यहां जेके बिजनेस स्कूल के कार्यपालकों को चीन के साथ बिजनेस प्रोत्साहन विषय पर आयोजित दो दिवसीय के कार्यक्रम में व्यक्त किए गए। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन और भारत तेजी से बढती आर्थिक शक्तियां हैं और दोनों देश एक दूसरे के बिना इस दिशा में तरक्की नहीं कर सकते। जेके बिजनेस स्कूल की महानिदेशक डॉ. रीना रामचंद्रन का कहना है कि चीन और भारत वैश्विक आर्थिक मंच पर उभर रही महाशक्तियां हैं और दुनिया में किसी भी देश की आर्थिक प्रगति का रास्ता अब इन दोनों देशों को साथ लिए बिना नहीं खुलता है। भारत के पास युवा शक्ति और ज्ञान का भंडार है जिसका इस्तेमाल चीन को अपने विकास के लिए जरूर करना चाहेगा। ऎसे में भारतीय युवा प्रतिभाओं के लिए चीन के द्वार खुल जाते हैं लेकिन उन्हें चीन के आम लोगों और कारोबारियों की प्रवृत्ति को ध्यान मे रखते हुए आगे बढने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि इन्हीं विंदुओं को ध्यान में रखते हुए उनके संस्थान ने चीन के लोगों की आम प्रवृत्ति से भारतीय कारोबारियों और युवा कार्यपालकों को अवगत कराने के उद्देश्य से यह कार्यक्रम आयोजित किया है। दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति वी.पी. दत्ता ने कहा कि चीनी बाजार में तेजी का रूख बना हुआ है और वहां की अर्थव्यवस्था जिस तेजी से बढ रही है उसे कोई रोक नहीं सकता। वहां निजी स्तर पर लोग उत्साहित हैं साथ ही सरकार भी लोगों की मदद कर रही है। चीन और भारत को व्यापारिक स्तर पर एक दूसरे की मदद मिल रही है लेकिन जापान जैसे देशों का भारत पर बहुत भरोसा नहीं है। बल्कि यह कहें कि पूर्वी एशियाई देशों के संगठन आसियान का रूख भी भारत के प्रति बहुत सकारात्मक नहीं है। चीन की स्थिति दूसरी है, उसकी 40 प्रतिशत जरूरत विदेशों से ही पूरी होती है इसलिए भारत पर उसकी निर्भरता स्वाभाविक है।
दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर मधु भल्ला का कहना था कि 1978 और आज के चीन की अर्थव्यवस्था में जमीन आसमान का अंतर है। भारतीय कम्पनियों का चीन के प्रति मोह बढ रहा है इसलिए कई भारतीय कम्पनियों ने वहां अपने प्रतिनिधि कार्यालय भी खोले हैं। चीनी बाजार में भारतीय व्यापारियों के लिए बहुत सम्भावनाएं हैं लेकिन वहां के बाजार को समझना है कि उन्हें भारतीय व्यापारियों से किस स्तर पर सहयोग लेना है। भारत की कम्पनियों को जरा प्रयास करने की जरूरत है वहां तो पार्टनर बैठे हैं।
भारत के साथ सबसे अच्छी बात यह है कि यहां का नौजवान विपरीत स्थितियों से लड सकता है और विदेशों में सहयोग करने के लिए तैयार बैठा है। भारत को ज्ञान का आधार बनना है और अपनी युवा शक्ति को इसके लिए तैयार रखना है। चीन के साथ व्यापार के लिए नए क्षेत्रों की तलाश करनी होगी। जवाहर लाल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बी.आर. दीपक ने कहा कि चीन कितना तेजी से आगे बढ रहा है इसका आकलन इसी आंकडे से लगाया जा सकता है कि 1991 में चीन का सकल घरेलू उत्पाद 352 अरब डॉलर था जो 2009

शनिवार, 17 अक्तूबर 2009

दीपावली की शुभ कामना






साथियों


दीपावली की आप सब पाठको को हार्दिक शुभ कामना आपके जीवन में सुख का निवास हो यही हमारी मंगल कामना है


कृपया दिवाली पर पटाखों का इस्तेमाल कम से कम करे यह पर्यावरण के लिए हानिकारक है


आइये हम सब ज्योति पर्व दिवाली पर भारत को जगमगाए ज्ञान और प्रकाश से



भारतीय एकता संगठन


इलाहबाद